ये ज़हर है | Motivational thoughts on comfort zone | how to get out of the comfort zone?
Comfort zone यानी आराम क्षेत्र किसे नहीं पसंद है, पर कितना आराम? और किस तरह का आराम? और यह आराम ज़हर क्यूँ बन जाता है? यह जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी है.
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how to get out of the comfort zone? |
तो बने रहिए हमारे इस motivational thoughts on
comfort zone के साथ जिसमें आपको ये बखूबी जवाब मिलेगा.
आखिर क्या है आराम क्षेत्र का मतलब? What is comfort zone | meaning of comfort zone?
अपने बच्चों को दी गई हर तरह की सुख सुविधाएँ उनके मानसिक
और व्यक्तित्व को निखरने में बाधा बनती हैं? कैसे? बताता हूँ।
Simple lines में आपको समझाने की कोशिश करता
हूँ, अपने यह ज़रूर सुना होगा कि “आवश्यकता आविष्कार की जननी है”.
तो आप एक बात बताएँ आपके बच्चे को किसी खिलौने या किसी वस्तु
की ज़रूरत होती है तो आप फौरन उसे ला कर देने लगते हैं.
ज़रा इस बात पर ध्यान दीजिए क्या आप उसके मानसिक स्थिति को
comfort
zone में नहीं रख रहे? कैसे? समझाता हूँ.
जब आपके बच्चे को खिलौना चाहिए तो, उसका दिमाग यह सोचता है
कि मुझे एक खिलौना मिल जाए तो मैं बड़े आराम से खेल सकता हूँ.
अब यहाँ पर आपको एक बात का ध्यान रखना है कि, उस बच्चे को
फौरन खिलौने ला कर मत दीजिए,बल्कि उस बच्चे को ये समझाने की कोशिश कीजिए या उसके दिमाग
में ये massage डालिए कि,
वो और किन किन चीज़ों के साथ खेल सकता है, जब वो खिलौना नहीं
पाएगा और उसे आप यह समझा देंगें कि,और भी चीज़ें हैं जिनसे खेला जा सकता है,
तो वह बच्चा अपना दिमाग उस खिलौने पर लगाने लगेगा,जिस खिलौने
को वो खुद बनाने लगेगा.
इस हरकत से उस बच्चे की creativity और फोकस दोनों
develop होगा, जिससे उसे comfort zone से
लड़ने कि ताकत भी मिलेगी.
इन पोस्ट को भी आप पढ़ सकते हैं
How to get out of the comfort zone? आराम क्षेत्र से बाहर कैसे निकले?
1. आपके आस-पास standard down है तो अपने
standard को ऊंचा रखें-
यदि आपके आस-पास के लोगों का standard
down है यानी उनमें कोई discipline नाम कि चीज़
नहीं है, तो एसे लोगों में adjust होने के लिए आपको अपने सोच
का standard गिरने की ज़रूरत नहीं.
बल्कि आपको एसे लोग खोजने हैं जिनकी सोच आपके सोच से मिलती
हो।
2. Improve your thoughts
and vision (अपने नज़रिये को बदले) -
ना व्यक्ति अच्छे कपड़े, ना ही अच्छी बात-चीत करने से सफल होता
है, हाँ ये अपने जगह पर सही है पर ये external factors हैं.
जो internal factor है वो ज्यादा powerful
है जिसे हम mindset या मानसिकता कहते हैं तो इस
मानसिकता के नजारिएं को एक दिशा दीजिए यानी goal निर्धारित करो.
आप किसी का इंतजार ना करें कि कोई और improve
होगा तो मैं improve करूंगा,या इस खाली जगह पर
कोई कचरा नहीं फेंकेगा तब मैं भी नहीं फेंकूँगा,
यदि ऐसा सोचते रहोगे तो तुम्हारे घर के पास वाली जगह देखते
देखते कचरे का ढेर बन जाएगी।
तो दोस्त याद रखो तुम्हें कोई हाथ पकड़ के समझने नहीं वाला,खुद
को तलाशो और अपनी comfort zone से बाहर आकर, अपने goal
की तरफ़ पूरी ताकत से दौड़ पड़ो।
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nice post ...lovely
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